शोधनकल्प
लाभः यह चूर्ण पेट के तमाम रोगों एवं अजीर्ण को मिटाकर भूख बढ़ाता है, बलवर्धक है। यह क्षयरोग, दमा, सर्दी, खाँसी, बुखार के बाद की कमजोरी, अरूचि, सिरदर्द, अम्लपित्त, हृदयरोग, रक्तचाप, मधुमेह, यकृत के रोग, मूत्रपिंड के रोग, हिचकी, आमवात, मंदाग्नि, कब्जियत आदि रोगों के लिए हितकारी है। यह शरीर का शोधन करके शुद्धि करता है, दुष्प्रभाव (साईड इफेक्ट) नहीं करता। कफ, पित्त, तथा वात सम्बन्धी रोगों को मिटाता है। इसे लेने के बाद पहले ही दिन से दोष निकलेंगे और पेट साफ होने की प्रक्रिया शुरू हो जायेगी।
सेवन विधिः 4 से 8 ग्राम चूर्ण को 20 ग्राम शहद, गुनगुने पानी तथा संत कृपा चूर्ण में मिलाकर सुबह खाली पेट सेवन करें। इन दिनों आँतों की मजबूती के लिए भोजन में गाय के घी का सेवन करना उचित है। भोजन हल्का व सुपाच्य हो। मधुमेह वाले यह चूर्ण बिना शहद के लें।
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